ज्ञानज्योत
जो ज्ञानज्योत हमने जलाई,
जीवनमें उतारा आपने, और;
हुआ मन त्रुप्त देख यह भक्ति,
किया नाम उज्ज्वल आपने गुरुजनका!
ज्ञानका बीज जो हमने सींचा था,
देखो आज लहलहाता पैड बन;
शीतलता जगमैं फैला रहा!!
निभाई गुरु- शिष्य प्रथा दिलसे,
किया पूजन आदरणिय गुरुका;
मनाके त्योहार गुरु-पूर्णिमाका!
ईस युगमैं कर दिया उन्नत सर,
गुरुको देकर ईतना मान सन्मान!
आशिष यही हम सब गुरुजनकी,
जीवनके हर क्षेत्रमें हो उन्नति सदा;
करो नाम रोशन जगमें जन्मदाताका,
यही प्रार्थना और दुआ निकलती रहे;
हमेशा हर शिष्यके लिए सदा सदा!!
शैला मुन्शा दिनांक ५ सितम्बर २०२१