अहिंसा
जिस देशमें बहती थी दुधकी नदिया
आज क्युं बहने लगी रक्तकी नदिया?
हर कोई चाहता अमन और शांति,
फिर विवादोमें क्यों फसी है आज शांति?
जिस देशमें अतिथी माने जाते थे देव,
भाई भाईके दुश्मन कहांसे हो गये लोग?
आ रही है होली, ले के रंगोका त्योहार,
पर क्यों दिख रहा रंग खूनका लाल?
कब तक चलता रहेगा यह विनाश?
कब तक बलि चढेंगे मा के लाल?
आओ मिलकर रचे एक नया ईतिहास,
सीखा दे दुनियाको अहिंसाका मार्ग!!
(पुलवामाके आतंकवादी हमले के बाद लिखी कविता!!
शैला मुन्शा ता ०३/०५ २०१९