August 21st 2021

राखीका त्योहार!!

राखीका त्योहार जब भी आता है,
मन हरदम खुशीयोंसे भर जाता है।

बात मेरे बचपनकी युं ही आयी जहनमें,
छुपछुपकर रोती थी, दर्द छिपाये मनमें!

बचपनकी तडप हर बार उभर आती थी,
देख सबके भैया, आह निकल जाती थी।

मा जब सजाती थाली दिये और राखीसे,
चहेरे पर मेरे छलक उठते आंसु उदासीसे।

पर दुखने जल्द ही किया किनारा,
जब द्वार मेरे खडा था भैया दुलारा।

बेटा था वह मांकी परम सहेलीका,
देख आंसु मेरे, खटखटाया द्वार हवेलीका।

बंधवाई राखी मुझसे, बन के भैया मेरे;
निभाया फर्ज भाईका जीवनभर संग मेरे।

तबसे, राखीका त्योहार जब भी आता है;
मन हरदम ही खुशीयोंसे भर भर जाता है!!

शैला मुन्शा द्दिनांक २१ अगस्त २०२१

No Comments »

No comments yet.

RSS feed for comments on this post. TrackBack URI

Leave a comment

Type in

Following is a quick typing help. View Detailed Help

Typing help

Following preferences are available to help you type. Refer to "Typing Help" for more information.

Settings reset
All settings are saved automatically.