त्योहार रंगोका!! ફુટી એક કુંપળને આવી વસંત!
बहेती हवाने किया ईशारा आई बसंत,
और खिल उठा गुलमहोर मेरे अंग;
लगता है आया त्योहार रंगोका,
और मैं भी बहेती रही हवाके संग संग!
आता जब त्योहार होलीका और,
रंगोकी बौछार चारों और!
और बस दिवानी हो कर मैं भी,
खेलती रही रंगोके संग संग!
बिसराके उदासी पतझडकी
जब खिलती हैं कलियां बागोमें
तब महेकती है फुलवारी बगियांमैं
क्यों न महेकुं मैं भी उन फुलों के संग संग!
जब गुंजती है मीठी मधुर कोयलकी बोली,
और बज उठती है मधुर तान बंसीकी
गोकुलमें खेल रहा हो कहान होलीके फाग
मैं भी तो डुब गई रंगोमैं कान्हाके संग संग!
खिल उठता है जीवन रंगोके त्योहारसे,
दुश्मन बन जाते दोस्त बिसराके मनका मेल;
नाच उठे हर नर नारी रंगोके संग संग तो,
आओ हम भी मनाये त्योहार रंगोका संग संग!
तब लगता है आया त्योहार रंगोका।
आया त्योहार रंगोका!!!
शैला मुन्शा ता. ०३/०५/२०२३
ફૂટી એક કુંપળ, ને આવી વસંત,
ટહુકી એક કોયલ ને લાવી વસંત!
રણકી ઝાંઝર નવોઢાની લજાતી વસંત,
છંટાયો ગુલાલ ભાઈ ને રંગાતી વસંત!
આંબે આવ્યાં મહોર, ચહેકી વસંત,
સોડમ ધરતતીની ને મહેકી વસંત!
લહેરાતાં ઊભા મોલ, ઝુમતી વસંત,
મેળે મહાલતાં માનવીને રમતી વસંત!
ભુલાઈ એ પાનખર, ખીલતી વસંત;
સમીર સંગ ખુશ્બુ ફેલાવતી વસંત!
શૈલા મુન્શા તા. ૦૧/૨૯/૨૦૨૧






