મુક્તક
કુદરતની લીલા જુઓ અણદીઠી કેવી,
પળમાં જ અચંબિત કરે જગને એવી;
ઉકળતા રણમાં વરસે બરફનો વરસાદ,
વિજ્ઞાને કરેલી પર્યાવરણની મહાદશા જેવી!
શૈલા મુન્શા તા. માર્ચ ૨૧. ૨૦૨૧
કુદરતની લીલા જુઓ અણદીઠી કેવી,
પળમાં જ અચંબિત કરે જગને એવી;
ઉકળતા રણમાં વરસે બરફનો વરસાદ,
વિજ્ઞાને કરેલી પર્યાવરણની મહાદશા જેવી!
શૈલા મુન્શા તા. માર્ચ ૨૧. ૨૦૨૧
होलीका त्योहार जब भी आता है,
अंबर पर जैसे ईन्द्रधनु छा जाता है;
खीलती कलियोंसे बसंत लहेराती है,
रंगोकी बौछार खुशियां साथ लाती है।
जब दानव हिरण्यकशिपु राजा बना था,
दुष्टताकी हर सीमाका उल्लंघन किया था;
नगरमें न त्योहार बसंतका, न नाम प्रभुका,
तभी खत्म करने पापीको, बालक जन्मा था प्रहलाद।
बडा ही सच्चा बच्चा था, हरिगुण नित गाता था,
पिता हिरण्यकशिपुने की सारी कोशिश खत्म हो प्रहलाद;
लिया आशरा बहन होलिकाका, जब हुआ न काम तमाम,
रचा षडयंत्र, छलसे करना विनाश प्रभुभक्त प्रहलादका।
था अभिमान होलिकाको, मिला था वरदान,
न मरती दिन में न रातमें, न जला सकती अग्नि उसे;
भाविने बस भुला दिया, बैठी अगनज्वाला बीच,
हुई थी शाम और भक्त प्रहलाद था गोदीमें रटता रामनाम।
जली होलिका खुदीके अभिमानसे, हुई रक्षा प्रहलादकी,
शिवने किया उध्धार निष्काम भक्तिका, करके नाश दुष्टताका;
दिन था वह फागुन सुद पूनमका, नवजीवन और उत्सवका,
भर गया आसमान भी अबील गुलालके रंगोसे।
मना रहे हैं लोग तबसे त्योहार होलीका रंगभरे नवजीवनका,
पता नहि कहांसे फिर प्रगटा एक पापी धरके नया रूप;
नजर नहि आता पर बरसाता कहर, चपटकी उसमे सारा विश्व,
कोरोना कहेलाता, कोई उसे रोक नहि पाता, सबको रुलाता।
चाहती हुं होलिका फिर स जनम ले,
हां हां मुझे पता है, होलिका बडी दुष्ट है;
पर ईसबार नाश करे कोरोनारुपी राक्षसका,
जलाकर भष्म कर दे, भरदे खुशीयां जिवनमें।
ईस बार मनाये होली सब मिलकर साथ साथ,
हो जाये भष्म कोरोना ऐसा, ना दिखाई दे कभी आसपास;
लोगोंका जीवन हो रंगोकी तरह रंगीन, और खुशहाल,
जबसे आई है वेक्सिन बनके वरदान।
करती हुं प्रार्थना विश्व कल्याणकी,
होलीकी शुभेच्छा और उन्नति मानव समाजकी।
शैला मुन्शा दिनांक १७ मार्च २०२१
ખરી પડવું સહજતાથી, સમજદારી જરૂરી છે;
ફરી ઉગવું સફળતાથી, સમજદારી જરૂરી છે!
ન ધારો, કે ધરે કોઈ સજાવી થાળ રંગોનો;
કદી દૂરી વિફળતાથી, સમજદારી જરૂરી છે!
અજાણ્યા રાખે જો સંબંધ, ભરોસો ના તરત રાખો;
પરાયાની નિકટતાથી, સમજદારી જરુરી છે!
નજરઅંદાજ લોકો તો કરે, આદત એ ના છૂટે;
જિવનરુપી સરળતાથી, સમજદારી જરુરી છે!!
નથી રાધા કે મીરા બસ દિવાની વાંસળી નાદે,
ભરમની એ ગહનતાથી, સમજદારી જરુરી છે!!
શૈલા મુન્શા તા.૧૩ માર્ચ ૨૦૨૧
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