त्योहार रंगोका!!
बहेती हवाने किया ईशारा
और खिल उठा गुलमहोर मेरे अंग,
लगता है आया त्योहार रंगोका,
और मैं भी बहेती रही हवाके संग संग!
आया फागुनका त्योहार और,
रंगोकी बौछार चारों और!
और बस दिवानी हो कर मैं भी,
खेलती रही रंगोके संग संग!
बिसराके उदासी पतझडकी
जब खिलती हैं कलियां बागोमें
और महेकती है फुलवारी
महेक उठी मैं भी उन फुलों के संग संग!
जब गुंजती है कोयलकी मधुर गान,
और बज उठती है मधुर तान बंसीकी
गोकुलमें खेल रहा हो कहान होलीके फाग
रंगोमैं डुब गई मैं तो कन्हैयाके संग संग!
लाये हर जीवनमैं खुशीयां त्योहार रंगोका
जब करे नाश दुष्टका होलिका,
खिल उठते हैं चहेरे मासुमोके,
नाच उठे हर नर नारी रंगोके संग संग,
लगता है आया त्योहार रंगोका।
लगता है आया त्योहार रंगोका!!!
शैला मुन्शा ता. ०२/२९/२०२०